भूमिका
गुरु पूर्णिमा भारतवर्ष में मनाए जाने वाला एक धार्मिक और आध्यात्मिक सबसे बड़ा त्यौहार है यह पर्व गुरु-पूजा के रूप में मनाया जाता है। गुरु का स्थान सबसे बड़ा होता है गुरु वह होता है जो अज्ञान रूपी अंधकार को दूर करके ज्ञान रूपी प्रकाश में ले जाते हैं अर्थात गुरु हमें अज्ञानता से मुक्त करके सच्चाई और ज्ञान की ओर ले जाता है।
वे हमारे जीवन में सही दिशा और मार्गदर्शन प्रदान करते हैं, जिससे हम अपने जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।और जो कोई नहीं कर सकता वह गुरु कर सकते हैं और प्रकाश बनाकर सभी जीवात्माओं को जागरूक करते है और जीवात्मा को मुक्ति देते है इसीलिए 1 साल में एक बार गुरु का पर्व आता है जिसे गुरु पूर्णिमा कहते हैं इस दिन किया गया कार्य सफल होता है
इस दिन हर प्रकार की विद्या ,साधना, ज्ञान अर्चित करने वाले शिष्य अपने गुरु का पूजन और सम्मान करते हैं तो आईए जानते हैं गुरु पूर्णिमा के बारे में ।
गुरु का महत्व
गुरु का स्थान हमारे जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण है। वह हमारे हर सांस में होते हैं और उनके बिना भगवान को प्राप्त नहीं किया जा सकता। गुरु का स्थान सबसे बड़ा माना गया है, और गुरु की पूजा में सब की पूजा होती है क्योंकि गुरु के समान कोई दूसरा दयाल देवता नहीं है। भगवान की पूजा करके भगवान को पाया जा सकता है, लेकिन मुक्ति सिर्फ गुरु की कृपा से ही मिल सकती है। सच्चे गुरु वही होते हैं जो हमें संसार सागर से पार कर देते हैं। इसलिए, सच्चे गुरु की तलाश तब तक जारी रखनी चाहिए जब तक कि हमें एक सच्चा और अच्छा गुरु न मिल जाए।

ज्ञान के स्रोत
गुरु हमें सही और सच्ची राह दिखाते हैं और सही ज्ञान प्रदान करते हैं। वह ज्ञान जो गुरु देते हैं, संसार में कोई और नहीं दे सकता। गुरु का ज्ञान मानव जीवन में अत्यंत आवश्यक है। इसके बिना मानव आगे नहीं बढ़ सकता और वही का वही रह जाता है। गुरु हमारे अंदर छिपी क्षमताओं को पहचानते हैं और उन्हें उजागर करते हैं।
सही मार्गदर्शन
गुरु हमेशा सही मार्ग बताते हैं और ईश्वर को पाने की राह दिखाते हैं। बाबा जयगुरुदेव जी महाराज कहते हैं कि “बच्चा, एक बार गुरु को आज़माकर देख लेना। अगर तुम्हारा काम नहीं हो, तो फिर कहना।”
इस प्रकार, गुरु का हमारे जीवन में सर्वोच्च स्थान है। उनकी कृपा से ही हम भगवान की प्राप्ति कर सकते हैं और जीवन के सभी दुखों से मुक्ति पा सकते हैं। सच्चे गुरु की तलाश और उनकी सेवा हमें जीवन में सच्ची शांति और मुक्ति की ओर ले जाती है।
भगवान की प्राप्ति का मार्ग
भक्ति और समर्पण
भगवान को पाने के लिए हमें गुरु के प्रति पूर्ण समर्पित होना चाहिए भगवान को पाने के लिए अपने जीवन का चरम लक्ष्य पाने के लिए हर व्यक्ति को किसी समर्थ व पूर्ण सतगुरु का मिलन अति आवश्यक है गुरु कैसा होना चाहिए इस बारे में महापुरुषों ने समय-समय पर जीवों को बहुत अच्छी तरह समझाया जगाया और चेताया है जब आप इसे अपने जीवन में वास्तविकता के रूप में अनुभव करेंगे तभी विश्वास और भरोसा जागेगा और जब तक भरोसा और विश्वास नहीं जागेगा तब तक किसी प्रकार की सिद्ध शक्ति नहीं मिल सकती और गुरु को प्राप्त करने के लिए हमारा गुरु के प्रति विश्वासऔर भरोसा होना चाहिए ।
सहजोबाई कहती है कि जब संसार में कोई भी कार्य बिना गुरु के पूरे नहीं होते हैं तो परमात्मा बिना गुरु के कैसे मिलेगा यह अपने मन में समझो देखो और विचार करो ।
भक्ति का मतलब
भक्ति का मतलब किसी जाति वर्ग वर्ण या जन्म सिद्ध अधिकार से नहीं है भक्ति प्राकृतिक वस्तुओं संसाधनों की तरह सबके लिए समान रूप से सर्वकाल में सदैव सुलभ रहती है।
“जाति पाति पूछे नहीं कोई, हरि का भजे सो हरि का होई” का तात्पर्य है कि भगवान की भक्ति करने वाला भगवान का हो जाता है, वहाँ जाति-पाति का कोई स्थान नहीं है। यदि भक्ति किसी धर्म विशेष या जाति वर्ग की चीज होती, तो संत रामानंद, संत कबीर और संत रविदास जैसे भक्तों का भक्ति मार्ग पर चलना संभव नहीं होता।
ध्यान और साधना
गुरु हमें ध्यान और साधना कैसे करनी है इसकी सभी विधि बताते हैं ध्यान और साधना से तन मन और आत्मा कैसे शुद्ध व पवित्र होती है यह सभी ज्ञान गुरु सीखते हैं ध्यान करने से मन पवित्र और एकाग्र रहता है मन को एकाग्र करने के लिए ज्ञान व साधना करना बहुत जरूरी है इससे हमारे कर्म कटते हैं।

निष्कर्ष
मानव जीवन में गुरु का स्थान सर्वोपरि और महत्वपूर्ण होता है कहा गया है कि बिना गुरु के ना तो सांसारिक यानी भौतिक ज्ञान अर्जित किया जा सकता है और ना ही परमार्थ व भक्ति कमाई जा सकती है आत्मा को जगा कर जीते जी परमात्मा को प्राप्त करना मानव जीवन का महत्व पूर्ण लक्ष्य है इस परम लक्ष्य की प्राप्ति बिना गुरु के बिल्कुल भी संभव नहीं हो सकती है जिसके जीवन में गुरु का प्रेम होता हैजिसके सिर पर गुरु का हाथ होता है उसके जीवन में कभी किसी चीज की कमी नहीं हो सकती है गुरु से प्रेम करोगे तो लोक भी सुधर जाएगा और परलोक भी सुधर जाएगा।
गुरु का संबंध आत्मा और परमात्मा का संबंध होता है गुरु की भक्ति में इतनी पावर होती है इतनी शक्ति होती है संसार के बंधनों से हमें छुड़ाकर ज्ञान और मोक्ष तक ले जाती है इससे हमारा जीवन सफल हो जाता है जीने का मकसद पूरा हो जाता है और संसार में हमारा जन्म लेना सार्थक हो जाता है गुरु वह दरिया है इसमें जो नहाता है पापी से पापी जीव भी मोक्ष को प्राप्त कर जाता है।